भारत गौरव आचार्यश्री पुलक सागर जी गुरुदेव द्वारा पर्वाधिराज पर्यूषण महापर्व अंतर्गत दशलक्षणों की मुनिश्री द्वारा की गई मीमांसा एवं विवेचना पर आधारित अमृत प्रवचन की पुस्तक अध्यात्म को प्रतिपादित करने के लिए मुनि श्री ने पर्वराज पर्यूषण का चयन किया है। पर्यूषण पर्व जैन समाज का सर्वोच्च, सर्वमान्य एवं सर्वप्रमुख धार्मिक पर्व है। पर्व का अर्थ है-गाठ । गन्ने की गांठों की तरह मनुष्य जीवन के एक पर्व से दूसरे पर्व तक की स्वयं सम्पूर्ण अवधि होती है। जिन क्षणों में जीवन जीने का नया प्रकाश मिलता है, परमात्मा के प्रति प्रेम प्रीति का भाव जनमता है, नया आनन्द, उत्साह का वातावरण बनता है, पुरानी दिनचर्या बदलती है, खानपान और विचारों में परिवर्तन आकर मन सद्भावनाओं से भर जाता है वह है पर्व। पर्व हमारी उदास टूटी हुई जिदगी को उत्सव से जोड़ने आते हैं पर्यूषण पर्व ऐसा ही पर्व है। पर्यूषण आत्मा का उत्सव है। इस उत्सव की अवधि में आत्मा परमात्मा बनने के लिए ऊपर उठती है जैसे पूर्णिमा की रात्रि में समुद्र की लहरें चन्द्र स्पर्श के लिए अपनी पूरी क्षमता से, पूरी सामर्थ्य से ऊपर उठती है। “धम्म शरणं” में मुनिश्री पर्यूषण पर्व की अवधि में धर्म के दस लक्षणों की सरल, सुपाठ्य और अपनी स्वाभाविक सुरुचिपूर्ण शैली में व्याख्या कर रहे है। पूज्य मुनिश्री के अध्ययन, मनन और चिंतनशील अध्यवसाय पूर्ण लेखन से प्रभावित उनके हजारों-हजार पाठक, भक्त तृषार्त चातक पक्षी की भाति उनके वैचारिक आकाश की ओर निहारते रहते हैं। “धम्म शरण” ऐसे ज्ञान पिपासु भक्त चातकों के लिए स्वाति बिन्दु सिद्ध होगी।
Pulak Sagar Ji Gurudev
धम्मं शरणं – Dhamm Sharnam ( Hardcover )
₹15.00
Product details
- Publisher : Pulak Prakashan (1 January 2011)
- Writer : Accharya Pulak Sagar Ji Gurudev
- Language : Hindi
- Hardcover : 128 pages
- ISBN-10 : 9385158481
- ISBN-13 : 978-9385158483
- Reading age : 3 years and up
- Item Weight : 100 g
- Dimensions : 2.4 x 19 x 22.7 cm
- Net Quantity : 1.00 count
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