भारत गौरव आचार्यश्री पुलक सागर जी गुरुदेव द्वारा पूज्य श्री का तार्किक सरल, सहज व ह्रदय को झकझोर देने वाला अमृत प्रवचन इस पुस्तक मे हैं युग की विडंबना को तो देखिये कि चिंतन सड़कों पर आ गया है। चरित्र और मानवीय मूल्य साहित्य की पकड़ से छूट गए हैं। साहित्य की शुभ्र ज्योत्सना को लोकैषणा और वित्तैषण के राहु ने ग्रस लिया है। ऐसे समय में इन तमाम प्रपंचों से दूर यह कृति ‘राम बिना जग सूना’ वैचारिक व चारित्रिक स्तर को उत्तुंग बनाने के लिए स्वस्थ चिंतन परोस रही है। इसमें व्यक्ति की अंतर्निहित शिवता को जगाना मुनिश्री का उद्देश्य रहा है। इसमें भगवान राम को संप्रदाय की भीति से हटाकर हर व्यक्ति के मन-मंदिर में बसाने का मुनिश्री ने महनीय कार्य किया है। पुञ्जीभूत अमा में हाहाकार करती चेतना को नवदीप्ति प्रदान करने का उपक्रम है ‘राम बिना जग सूना’। मुनिश्री पुलकसागरजी ने यत्र-तत्र फैले ज्योति कणों को दीपशिखा में गुंफित कर वीतरागी प्रभु राम की आरती उतारी है। यह किताब सदियों तक जीवन-मूल्यों की साँझ में दिग्दिगंतर तक अलौकिक ज्योति प्रसारित करती रहेगी। इस कृति के प्रकाशक महोदय को बहुत-बहुत धन्यवाद। और जिनके चरण प्रांत में पहुँचते ही कामनाएँ क्षार-क्षार हो जाती हैं, उन मुनिश्री पुलकसागरजी को शत-शत नमन और अपने जैसा बनाने की प्रार्थना के साथ।
Pulak Sagar Ji Gurudev
राम बिना जग सुना – Ram Bian Jag Suna ( Staple Bound )
₹15.00
Product details
- Publisher : Pulak Prakashan
- Edition : 2nd edition ( 1 January 2012 )
- Writer : Accharya Pulak Sagar Ji Gurudev
- Language : Hindi
- Staple Bound : 31 pages
- ISBN-10 : 9385158090
- ISBN-13 : 978-9385158094
- Reading age : 3 years and up
- Item Weight : 60 g
- Dimensions : 0.5 x 14 x 21.5 cm
- Country of Origin : India
- Net Quantity : 1.00 count
- Generic Name : Book
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